अछल्दा (औरैया)। दशहरा पर्व के अवसर पर नगरिया ग्राम में इस वर्ष भी पारंपरिक मेले का भव्य आयोजन किया गया। मेले में स्थानीय कुम्हारों द्वारा बनाए गए भांति-भांति के टेसू और झांझी आकर्षण का केंद्र बने रहे। ग्रामीणों ने भारी संख्या में पहुंचकर टेसू और झांझी की खरीदारी की।
कुम्हारों ने बताया कि इस बार भी उन्हें अच्छी बिक्री हुई है, जिससे अच्छा मुनाफा हुआ। खासतौर पर “पगड़ी वाले टेसू” की मांग सबसे अधिक रही। वहीं बच्चों और महिलाओं में झांझी खरीदने का विशेष उत्साह देखने को मिला।
टेसू-झांझी की परंपरा महाभारत काल से जुड़ी मानी जाती है। मान्यता है कि टेसू, घटोत्कच के पुत्र बर्बरीक का प्रतीक हैं, जबकि झांझी उनकी प्रेमिका का रूप मानी जाती है। इस प्रथा के तहत बच्चे टेसू और झांझी की मटकियाँ खरीदकर घर-घर जाते हैं, जहाँ से उन्हें दक्षिणा और अनाज प्राप्त होता है। पूर्णिमा की रात को टेसू और झांझी का प्रतीकात्मक विवाह संपन्न कराया जाता है। यह परंपरा विवाह-शादी के मौसम की शुरुआत का संकेत भी मानी जाती है।
हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी मेले में भारी भीड़ उमड़ी। दशहरा पर्व पर आयोजित यह पारंपरिक मेला ग्रामीण संस्कृति, लोककला और परंपराओं को जीवंत बनाए हुए है। ग्रामीणों ने मेले में शामिल होकर उत्सव का भरपूर आनंद उठाया।
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